अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण, पहचान व निशानी

अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण: अगर आप किसी बच्चे के माँ या पिता बनने वाले हैं, तो आपके मन में भी ये सवाल जरूर उठता होगा कि आने वाला बच्चा लड़का होगा या लड़की. आज का समय काफी माडर्न हो चुका है, जहाँ लड़के/लड़की में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है. इसके बावजूद लोगों के मन में ये उत्सुकता तो अवश्य होती है कि होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की. वैसे तो एक अनुभवी डॉक्टर ही अल्ट्रासाउंड के माध्यम से जन्म से पहले बच्चे का लिंग बता सकता है, लेकिन आज इस आलेख में हम आपको विभिन्न डॉक्टर्स के अनुभवों के आधार पर अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण के बारे में जानकारी देंगे. हमारे इस आर्टिकल का मकसद केवल लोगों को सामान्य जानकारी देना है.

अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण –

हमारे देश में गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग-जांच करना गैरकानूनी है. इसकी मूल वजह विकृत मानसिकता के लोगों द्वारा कन्या भ्रूण हत्या करना है. भ्रुण हत्या न केवल एक घिनौना कृत्य है बल्कि इससे उस माँ की मृत्यु का खतरा तथा हमेशा के लिए बांझपन होने का खतरा भी बना रहता है. इस आलेख में आगे हम आपको अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लड़का होने के लक्षण के बारे में बताएंगे. हमारे द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी का उद्देश्य कभी भी भ्रुण-हत्या को बढ़वा देना नहीं है. यह सिर्फ एक सामान्य जानकारी के लिए है.

मां के गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है या लड़की इसके बारे में सही अनुमान एक अनुभवी डॉक्टर ही लगा सकता है. अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण पहले से दिख जाते हैं. शुरूआती 2-3 महीने में यह बताना काफी मुश्किल है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की. लेकिन 3 माह के बाद शुरू के लड़का या लड़की होने के लक्षण स्पष्ट होने लगते हैं.

अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य की भी जानकारी मिलती है. इसलिए कई डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान 3-4 बार अल्ट्रासाउंड जांच करवाना चाहिए.

गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है अथवा लड़की इसकी जांच का एकमात्र तरीका है-अल्ट्रासाउंड. एक अनुभवी डॉक्टर अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देकर बता सकता है कि अंदर पल रहे शिशु का लिंग क्या है. तीन माह से ऊपर के गर्भ के अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखने लगते हैं, लेकिन एक सामान्य व्यक्ति चाहकर भी शिशु का लिंग पता नहीं कर सकता है.

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अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण क्या हैं? (Ultrasound me Ladka hone ke Lakshan kya hain) –

अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण तीन महीने से ऊपर के गर्भ में ही दिखते हैं. गर्भ जितना ज्यादा महीने का होगा उसमें पल रहे शिशु के लिंग उतने अधिक स्पष्ट होंगे.

गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की यह जानने के लिए कई चीजों पर ध्यान दिया जाता है. आप अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में निम्नलिखित चीजों पर ध्यान देकर शिशु का लिंग पता कर सकते हैं :-

  1. भ्रुण में पल रहे शिशु के सिर का आकार –

कई अनुभवी चिकित्सकों शिशु के सिर का आकार को देखकर उसका लिंग बताने का दावा करते हैं. शिशु के जरूरी अंगों का निर्माण 3 माह के बाद ही शुरू होता है. माना जाता है कि भ्रुण में लड़की का सिर लड़के की अपेक्षा में ज्यादा बड़ा होता है. हालांकि ये पता करना एक सामान्य व्यक्ति के लिए संभव नहीं है. इसके लिए आपको कई सारे एक समान आयु के भ्रुण के अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट का परीक्षण करना होगा. कई बार शिशु के सिर का आकार आनुवंशिक कारको पर भी निर्भर करता है. ऐसे में केवल सिर के आकार के आधार पर भ्रुण का लिंग बताना जल्दबाजी होगी.

  1. लिंग के आधार पर –

तीन महीने के बाद गर्भ में पल रहे शिशु के जननांग विकसित होने लगते हैं. इस दौरान शिशु के पैर के बीच ट्यूबरकल नामक एक जननांग मौजूद होता है, जिसे नब कहते हैं. अनुभवी डॉक्टर्स का मनना है कि भ्रुण में शिशु का नब रीढ़ की हड्डी के साथ 30° का कोण बनाता है तो यह लड़का होने का लक्षण है. अगर कोण 30° से कम है तो यह लड़की होने के लक्षण हैं.

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  1. टर्टल या हैमबर्गर के आधार पर –

कई डॉक्टर्स टर्टल या हैमबर्गर के आकार को देखर शिशु के लड़का या लड़की होने की जानकारी देते हैं. गर्भ के तीन महीने होने के बाद शिशु का हाथ-पैर फैलने लगता है और वह टर्टल की आकृति बनाता है. इस आकृति के आधार पर उसके लड़का या लड़की होने का संकेत मिलता है.

लिंग जांच का ये तरीका विश्वसनीय नहीं माना जाता है. टर्टल या हैमबर्गर के आधार पर के एक अत्यंत अनुभवी डॉक्टर ही बच्चे का लिंग बता सकता है.

  1. बच्चे की धड़कन के आधार पर –

कुछ लोग बच्चे की धड़कन के आधार पर भी गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग बताने का दावा करते हैं. ऐसे लोगों का मानना है कि अगर शिशु का धड़कन 140 bpm से कम है तो यह लड़का होने का स्पष्ट लक्षण है, लेकिन अगर 140 bpm से अधिक है तो लड़की होने के संकेत है.

किसी भी शिशु या इंसान की हृदयगति हमेशा एक समान नहीं होती है. यह ऊपर नीचे होती रहती है. ऐसे में केवल धड़कन के आधार पर गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग बताना संभव नहीं है.

  1. शिशु का पेनिस-अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण –

यह गर्भ में पल रहा शिशु लड़का या लड़की या पता करने का सबसे सटीक तरीका है. जब गर्भ की शिशु 5-6 माह का हो जाता है तब अगर वह लड़का है तो उसका एरेटिक पेनिस दिखने लगता है. ज्यादातर डॉक्टर इसे ही देखकर अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण पता करता है.

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  1. अन्य तरीका –

कुछ लोग कई अन्य तरीके से भी गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग पता करते हैं. ये तरीके हैं- गर्म में शिशु बांयी तरफ है या दहिने तरफ, गर्भवती महिला का पैर ठंडा है तो लड़के का संकेत, गर्भावस्था में अगर कम भूख लगे व ज्यादा उल्टी आए तो लड़का होने का संकेत, पेशाब के रंग के आधार पर.

निष्कर्ष –

इस आलेख में हमने अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के लक्षण के बारे में जानकारी दी. इस लेख में दी गई जानकारी कुछ डॉक्टर्स से बातचीत के आधार पर दी गई है. हमारे द्वारा बताया गया कोई भी तरीका 100% सफल नहीं है. भ्रुण में लिंग का पता सिर्फ एक अनुभवी डॉक्टर्स ही लगा सकते हैं.

इस आलेख के माध्यम से हम पाठकों को बताना चाहते हैं कि कभी भी इंटरनेट पर दी गई जानकारियों के आधार पर स्वास्थ्य के संबंध में कोई फैसला न लें. जन्म से पूर्व बच्चे का लिंग जानने की जिज्ञासा होना अलग बात है, लेकिन अगर आपके लिंग जांच का उद्देश्य किसी खास लिंग के बच्चे का जन्म या भ्रुण-हत्या करना है, तो सचेत हो जाएं. कृत्रिम तरीके से जानबूझकर गर्भपात कराना गर्भवती महिला के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. साथ ही वह भविष्य में दुबारा मां बनने से हमेशा के लिए वंचित हो सकती है.

 

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